महाकवि भास संस्कृत साहित्य के मूर्धन्य कवि हैं। उन्होंने अपने जिन तेरह नाटकों से संस्कृत साहित्य को समृद्ध किया उनमें स्वप्नवासवदत्ता और प्रतिज्ञायौगन्धरायण विशेष लोकप्रिय हैं। नाटकों की भाषा बहुत ही सरस और बोध्गम्य है। अभिनय की दृष्टि से भी भास के नाटक सर्वथा उपयुक्त हैं।
स्वप्नवासवदत्ता | Swapnavasavdutta
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Author
Bhas
Publisher
Rajpal & Sons
No. of Pages
96
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