मनुष्य का सोचना कि परिस्थितियों पर उसका नियंत्रण है, ये सोच ही उसे चलायमान रखती है पर ये मनोवृत्ति उसके दुःखों का एक कारण भी है। बहुत कुछ ऐसा है जो हमारी समझ से परे है और मनुष्य जो समझ नहीं पाता उसे चमत्कार की संज्ञा दे उसे संतोष मिल जाता ह|कहानी दक्षिण सिक्किम से शुरू हो हिमालय की पहाड़ियों में ले जाती है। कहानी के पात्र अकचुंग को तंगहाल ज़िन्दगी से करिश्मे की उम्मीद न थी पर जब कायनात ही उससे चमत्कार की आस लगाये और मदद माँगने आसमानी फ़रिश्ते ख़ुद ज़मीं पर उतर आयें तो?क्या अकचुंग वो करामाती इंसान है जिसकी आसमानी ताकतों को तलाश है? क्या मिराम की इच्छा पूरी होगी? क्या होगा जब महासंग्राम होगा और बीच फँस जायेगा अकचुंग? क्या उसे वो मिल जायेगा जिसकी उसे तलाश है? पता नहीं पर एक कोशिश तो उसका हमसफ़र बनकर की ही जा सकती है।
Bodh | बोथ
Author
Lokesh Gulyani
Publisher
Hind yugm
No. of Pages
136
























