अपने ही भूत के अनुभवों को पुस्तक के रूप में लिखने की इच्छा मेरे मन में कई बार जागृत हुई। उसी के अनुरूप यह प्रयास आपके सामने प्रस्तुत है।
मनुष्य, अपने मन की बात को औरों तक पहुँचाने की अपनी मानसिक अनुभूति की अभिव्यक्ति-इच्छा ही लेखन करने की प्रेरणा देता है।
अपने मन व मस्तिष्क में अपार धैर्य एवं शान्ति होनी चाहिये। ताकि आपकी लेखनी में जान आ सके। लेखन कार्य करते समय गीता के कार्य सिद्धान्त को ध्यान में रख कर लेखन करते रहना चाहिये। जिससे अपने लेखन कार्य आगे बढ़ सकें।
लेखन कार्य करने हेतु किन-किन बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिये, इसके विषयवार एवं बिन्दुवार समझाने का प्रयास किया गया है।
पाठक, इस पुस्तक का अध्ययन कर लेखन कार्य की ओर अपनी रूचि जागृत करेंगे तो मैं मेरा यह प्रयास सफल मानूगाँ और भविष्य में मुझे और भी लिखने का प्रोत्साहन मिलेगा।
पाठक एवं विद्वानों के सुझाव भी मुझे बल प्रदान करेंगे।
Lekhak Kaise Bane? | लेखक कैसे बने?
Author
Dr. Pavitra Kumar Sharma
Publisher
Parag Prakashan
No. of Pages
120
























