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डॉ. सुरेश सैनी यात्राओं व नए स्थानों पर पर्यटन के शौकीन, अनजानी धरोहरों के बारे में लेख लिखकर जागरूक करने वाले इस अधिकारी का व्यक्तित्व सहज प्रवाहित नदी की तरह है जो अपने तल को छूकर चलते हैं। सौम्य स्वभाव किंतु गलत बात पर आक्रोशित रहने वाले और व्यवस्था की खामियों को लेकर बेहद संवेदनशील तथा इन खामियों की प्रति उनका आक्रोश व व्यथा उनकी रचनाओं में भी झलकती हैं। उनका मानना है कि इस धरती पर सबसे बड़ी समस्या आदमी का आदमी का प्रति व्यवहार ही है। मेरा कार्यकाल जम्मू कश्मीर में 8 अक्टूबर, 2,008 से 7 अगस्त, 2013 तक रहा। प्रारंभ में रेलगाड़ी अनंतनाग से मार्च हम तक चली उसके पश्चात फरवरी, 2009 में मझहोम से वारामुला तक इसका विस्तार हुआ। दूसरी ओर अनंतनाग से काजीगुंड तक इसका विस्तार हुआ और 2013 में 26 जून को पीर पंजाल की पहाड़ियों में 11 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर इसको बनिहाल से जोड़ दिया गया और यह खूबसूरत रेलगाड़ी बनिहाल से बारामुला तक की 135 किलोमीटर की दूरी को तय करने लगी। अब यह पर्यटकों के लिए एक ऐसी जीवन रेखा बन गई जिससे वह 12 महीने में से 5 महीने बर्फ से ढकी हुई पीर पंजाल की पहाड़ियों के नीचे रेल सुरंग द्वारा रेल यात्रा कर सकते हैं। अब कश्मीर घाटी सर्दियों के मौसम में भी 24 घंटे पूरे देश से जुड़ी रहने लगी। यह भारतीय रेल की कश्मीर घाटी के निवासियों को बहुत बड़ी देन हैं। इस पुस्तक में भारतीय रेल के कश्मीर घाटी में क्रमिक विकास का वर्णन है।

Kashmir Ghati Ki Khubsurat Railgadi | कश्मीर घाटी की खूबसूरत रेलगाड़ी

SKU: 9788119904266
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₹170.00बिक्री मूल्य
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  • Author

    Dr. S. K. Saini

  • Publisher

    Parag Prakashan

  • No. of Pages

    80

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