बहुत दिन चुप रहने के बाद — यह संग्रह सिर्फ़ कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि स्त्री-अस्मिता, ऐन्द्रिकता और निजता का सशक्त दस्तावेज़ है। ज्योति शर्मा की आवाज़ उस गहरे मौन से निकलती है, जिसमें अनगिनत स्त्रियों की कहानियाँ दबा दी जाती हैं। उनकी कविताओं में सर्दियों की धूप का सुकून है, बरसाती रातों का अकेलापन है, और क्रांति की अनहद गरज भी — कभी प्रेम के मुलायम रेशों में लिपटी, तो कभी सवालों की चिंगारी से सुलगी हुई।
ज्योति की कविताएँ घर-आँगन, रिश्तों, देह और स्मृतियों के अदृश्य कोनों में उतर जाती हैं। वे कभी दृढ़ होकर सवाल उठाती हैं, तो कभी माँ की कोमल थपकियों में सिमट जाती हैं। उनकी संवेदनशीलता, सौंदर्य और ऐन्द्रिकता हर पंक्ति में जीवित है — जैसे बंद कमरे में अचानक कोई खिड़की खुल जाए और ताज़ी हवा का झोंका भीतर आ जाए।
यह किताब हर उस पाठक के लिए आवश्यक है, जो स्त्री-विमर्श, प्रेम और साहस की नई भाषा को महसूसना चाहता है।
Bahut Din Chup Rahne Ke Baad । बहुत दिन चुप रहने के बाद
Author
Jyoti Sharma
Publisher
Hind yugm
No. of Pages
184
























