दस हजार फीट पर्वत-शिखर पर है गंगटोक शहर असंख्य झरने और जलप्रापातों से मुखरित हैं उसके रास्ते चारों ओर घेर कर है पहाड़ पर्वतों का नीला आस्तरण दूर है कंचनजंघा श्रृंग। मानो मेघ खंड पर्वतों पर घर बसाए हुए हैं। कभी-कभार होटल झरोखे से अन्दर दाखिल भी हो जाते हैं। होटल तिब्बत गंगटोक का एक पांचसितारा अभिजात होटल है। वह होटल मानाष्ट्री की कारुकार्यपूर्ण शैली में बना है। सभी आमन्त्रित कवि उसी होटल में ठहराये गये थे। झरोखा खोलते ही नजर आये सुन्दर छवियों की भाँति अनगिनत मकान । पहाड़ी की तलहटी से लेकर शीर्ष तक अनेक मकानों की लम्बी कतार थी। छोटी-छोटी मारुति कार और वैन अति सर्पिल गति से ऊपर चढ़कर फिर उतरती आ रही थीं। उस दृश्य को घंटों निहारते रहने पर भी मन नहीं भरता ।
गंगटोक के चारों ओर वन्य फूलों की मोहक वर्णविभा नजर आती है। इलायची और दालचीनी वहाँ काफी मात्रा में मिलती है। सिक्किम की नारियों का पीठ पर मकई की बड़ी-बड़ी टोकरी के बोझ ढोये चलने का दृश्य काफी लुभाता है।
सात समंदर तेरह नदियाँ | Saat Samandar Terah Nadiyan
Author
Manorama Vishval Mahapatra
Publisher
Vani Prakashan
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