प्रस्तुत ग्रंथ के रचयिता पंडित झाबरमल्ल जी शर्मा पत्रकारिता के क्षेत्र में भीष्म पितामह के रूप में विख्यात थे। आज से एक ती पूर्व इस क्षेत्र में सम्पादक के रूप में आपने जिस निर्भीकता, सत्यवादिता और निस्पृहता से कीर्तिमान स्थापित किए, उनकी सराहना की जाती है। शासन का कोप और जेल के सीखों का भय पंडित जी को अपने कर्तव्य से नहीं डिगा पाया था।
साहित्यकार के रूप में पंडित जी का योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने भाषा और साहित्य को अनेक ग्रंथ रत्न भेंट किए हैं। अनेक लेखकों, कवियों और विद्वानों को प्रोत्साहन देकर तथा बहुत सी भूली-बिस्सी प्रतिभाओं को प्रकाश में लाकर पंडित जी ने अभूतपूर्व काम किया है।
इतिहास पंडित जी का प्रिय विषय रहा है। इस क्षेत्र में उनका शोध कार्य और
ग्रंथों का सृजन उल्लेखनीय है। उनकी पुस्तकें मात्र राजाओं के देशों की कहानी नहीं
अपितु धर्म, समाज, संस्कृति, सभ्यता, कला व साहित्य का विशद व ऐतिहासिक विवरण है। वयोवृद्ध विद्वान पंडित शाबरमल्ल जी साहित्य वाचस्पति की उपाधि से विभूषित किए गए थे। उनके सम्मान में अनेक महत्वपूर्ण अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित
किए जा चुके हैं और उन्हें अनेक पुरस्कार भी प्रदान किए गए हैं। भारत सरकार
पंडित झाबरमल्ल जी शर्मा को पद्मभूषण की उपाधि से अलंकृत किया था।
अनेक पुस्तकों के लेखक पंडित जी मृत्युपर्यन्त एक शोध संस्थान संचालन व जिशन करते थे।
संवाद पत्रों का सम्पादन मासिक 'ज्ञानोदय', कोलकाता 1907 मासिक 'भारत' बम्बई 1909, मासिक' मारवाडी' लागपुर 1910, दैनिक 'कलकता समाचा कोलकाता 1914-1925, दैनिक हिन्दू संसार 'दिल्ली-1926-19301
राजस्थान और नेहरू परिवार | Rajasthan aur Nehru Pariwar
Author
Pt. Jhabarmall Sharma
Publisher
Minerva Publications
No. of Pages
127
























