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जब एक राष्ट्र की रुकी हुई या गलत दिशा में जा रही धारा को गति या सही दिशा देनी होती है, तो न जाने कितनी चट्टानों को अदम्य साहस के साथ हटाना होता है, और न जाने किन प्रवाहों के विरुद्ध संघर्ष करना होता है। जब कोई व्यक्ति ऐसे अदम्य साहस से युक्त हो जाता है तो वह सामान्य से उठकर 'महा' हो जाता है और महान् हृदय, महान् मस्तिष्क, महान् मन वाला महापुरुष हो जाता है। जो स्वयं इतिहास नहीं बन जाता अपितु इतिहास उससे बनता है। ऐसे महापुरुष किसी एक युग, एक काल या स्थान विशेष की सम्पत्ति नहीं होते हैं, अपितु सर्वकालीक और सम्पूर्ण राष्ट्र या विश्व की अमूल्य धरोहर बन जाते हैं। इन्हीं महापुरुषों की श्रृंखला एक बार पुनः 18वीं सदी से भारतवर्ष में दिखाई पड़ती हैं, जब भारत में पुनर्जागरण की गंगा प्रारम्भ होती है। इन्हीं महापुरुषों में बड़ी संख्या में भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के वे अमर पुरोधा हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्त्व से इतिहास को धन्य बना दिया। इन्हीं महापुरुषों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गई है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर पुरोधा । Bhartiya Swatantrata Sangram Ke Amar P

SKU: 9789384620295
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  • Author

    Dr. R. S. Adha,

    Sanjay Jain,

    B. L. Bishnoi,

    Latika Singh,

    Janmejay Singh Charan

  • Publisher

    Pink city

  • No. of Pages

    146

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