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भारतीय इतिहास सभी काल में और सभी वर्गों के लिए एक रुचिकर विषय रहा है। जहाँ पाश्चात्य देशों में तथ्यबद्ध एवं क्रमबद्ध ढंग से इतिहास की रचना होती रही है, वहीं भारतीय जगत् में यह कथाओं, संस्मरण, मन्वन्तरी, काव्यों, महाकाव्यों, अभिलेखों इत्यादि के रूप में प्रवाहमान होता रहा है। भारतीय इतिहास अपने आप में विलक्षण इतिहास है और स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में इसका विकास तरंगाकार हुआ है तथापि इसका सांस्कृतिक स्वरूप अक्षुण्ण रहा। सिन्धु घाटी सभ्यता एवं उससे पूर्व जो तत्त्व भारतीय संस्कृति में समाहित हुए वे आयों द्वारा भी पोषित होते रहे और अशोक, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, हर्ष, महाराणा कुम्भा, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ, छत्रपति शिवाजी जैसे शासकों ने इसके परिष्करण एवं परिवर्द्धन में अपना अमूल्य सहयोग दिया। भारतीय इतिहास के सभी कालों में स्थापत्यकला, चित्रकला, संगीत कला इत्यादि का कमोवेश विकास होता रहा। अंग्रेजी काल यद्यपि भारत के आर्थिक शोषण का काल रहा, तथा इस काल में विज्ञान, शिक्षा, राष्ट्रीयता इत्यादि का विकास हुआ। यद्यपि अंग्रेज ऐसा नहीं चाहते थे कि भारत का विकास हो तथापि उनके दमनात्मक एवं स्वार्थपूर्ण कार्यों से उत्पन्न नकारात्मक प्रभावों को भारतीयों ने हाथों-हाथ लिया और इस देश के उत्थान में लीन हो गए। जहाँ राजा राममोहन राय ने अंग्रेजी भाषा एवं शिक्षा को ही भारतीय आधुनिकता का माध्यम बनाया, वहाँ दयानन्द सरस्वती ने भारतीय संस्कृति के मूल वेदों की ओर लौटने का मन्त्र देकर भारतीय लोगों की सुपुत चेतना को जगाया। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानन्द ने वेदान्त के आधार पर भारतीय लोगों का आध्यात्मिक जागर

भारत का समग्र इतिहास | Bharat Ka Samagra Itihas

SKU: 9788180350276
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₹595.00बिक्री मूल्य
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  • Author

    Naresh Kumar Sharma

  • Publisher

    Unique Traders

  • No. of Pages

    432

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