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अंडरवर्ल्ड के बड़े दांव वाले खेल में नये चेहरे आ गये हैं, जो या तो दाऊद इब्राहिम के लिए काम करते हैं या उसके ख़िलाफ़। दाऊद इब्राहिम यानी परदे के पीछे की वह चालाक शख़्सियत जिसके हाथ में कठपुतलियों की डोर है। छोटा राजन, जो कमी दाऊद का दायाँ हाथ हुआ करता था और जो अब उसका जानी दुश्मन है, राजनेता बन चुका डॉन अरुण गवली, अमर (रावण) नाइक तथा उसके इंजीनियर भाई अश्विन नाइक समेत वे कई छोटे-बड़े किरदार मराठी गिरोहबाज़ों के रोमांचक इतिहास के इन पन्नों पर चलते-फिरते दिखायी देते हैं, जिनको कमी शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने 'आमची मुले' या 'हमारे लड़के' कहा था। उतने ही रोमांचक किस्से उन विख्यात व कुख्यात पुलिसवालों तथा 'मुठभेड़-विशेषज्ञों' के हैं, जिन्होंने इन गिरोहों से बिना किसी ख़ास हिचकिचाहट के ज़बरदस्त कामयाबी के साथ टक्कर ली।

हिंसा और छल की उम्मीद तो इस पुस्तक में सहज ही की जा सकती है, लेकिन इसकी ताक़त इस बात में भी है कि यह उन चीज़ों की निहायत ही साधारण, लगभग बचकानी शुरूआत को दर्शाती है जो बहुत तेज़ी के साथ संगठित अपराध और क्रूर इन्तकामों में बदल गयी। इन घटनाओं ने बीसवीं सदी के आख़िरी दशकों में मुम्बई को जकड़ लिया था।

अंडरवर्ल्ड के जाने-माने विशेषज्ञ के गहन शोध तथा रोमांचक क़िस्सागोई से सजी इस पुस्तक की रफ़्तार डोंगरी से दुबई तक से भी ज़्यादा तेज़ है, और यह भारत तथा भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़ाव के संबंध में कहीं ज़्यादा सिहरन से भर देने वाली है।

Byculla to Bangkok | बायकला टू बैंकॉक

SKU: 9788183225175
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₹265.50बिक्री मूल्य
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  • Author

    S. Hussain Zaidi

  • Publisher

    Manjul Publishing

  • No. of Pages

    311

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