यह कहानी प्रमुखतः एक लड़का (छोटू) और एक महिला को ध्यान में रखकर लिखी गई है। यह कहानी मूलतः एक स्त्री को सामाजिक दृष्टि से मिलने वाली अवहेलना और एक नवयुवक के उस स्त्री के ओर आकर्षित होने की कहानी है। छोटू के बचपन और पढ़ाई-लिखाई के दिनों में दिलचस्प घटनाएँ भी घटित होती हैं जो बहती हुई कहानी के बीच में भाव बदलती रहती हैं। समाज के तानों से तंग आकर यह स्त्री भक्ति मार्ग चुनने को विवश हो जाती है, जहाँ उसे घोर सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। इस कहानी में कहीं-कहीं हँसी-मज़ाक़ भी दिखाई देता है तो कहीं आँखों को भिगोने के क्षण भी आते हैं।
कुल-मिलाकर यह कहानी कई दिशाओं में भ्रमण करते हुए अंतत एक यमुना के किनारे आकर उस लड़की की सूनी कलाइयों पर जाकर समाप्त हो जाती है।
Prayaschit | प्रायश्चित
Author
Ashwani Pratap
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
160