हसीना को मुसीबत में ना देख पाने की अपनी आदत से मजबूर सुनील ने उस दीवाली की रात को जब एक हसीना की मदद की और उसे अपने फ्लैट में पनाह दी तो वो अंजान हसीना अपने पीछे उसके लिये एक लाश छोड़ गयी। एक ऐसे इंसान की लाश जिसको सुनील पूरे शहर में बड़े खतरनाक इरादों के साथ ढूँढता फिर रहा था और आलाएकत्ल था सुनील का ही खंजर। ऐसे में कौन मानता कि कातिल सुनील नहीं था? एक ही बैठक में पठनीय रोमांचक मर्डर मिस्ट्री, जिसमें सुनील की जान जाते-जाते बची। सुनील और रूपा की अनूठी जुगलबंदी!
Diwali Ki Raat | दीवाली की रात
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Author
Surendra Mohan Pathak
Publisher
Sahitya Vimarsh
No. of Pages
303
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