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जायसी स्वयं में एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक संस्था हैं जिसके विभिन्न भाग-अनुभाग पूर्णतः स्वतन्त्र किन्तु महत्त्वपूर्ण हैं कि इन पर्याप्त शोध की आवश्यकता है।

हिन्दी साहित्यिक में कुछेक विशिष्ट कवि ही ऐसे हैं जो अपने एक या दो- चार ग्रन्थों के आधार पर साहित्य नभमण्डल के दैदिप्य नक्षत्र बने हुए हैं। बिहारी के तुल्य ही जायसी भी पद्मावत ग्रन्थ के कारण हिन्दी साहित्य की विद्वत मण्डली एवं इतिहास में श्रेष्ठ एवं सम्मानीय पद पर आसीन हैं।

प्रस्तुत पुस्तक जायसी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व का नवीन शोध दृष्टि एवं पुनर्मूल्यांकन मापदण्डों के प्रामाणिक आधार पर अनुशीलन प्रस्तुत करती है, जिसके कारण पूर्व निर्धारित जायसी संबंधी समस्त जर्जर मान्यताएँ स्वयं ही हरहराकर ध्वस्त हो जाती हैं तत्पश्चात् सटीक, प्रामाणिक आधार प्रस्तुत होते हैं।

Jayasi Ka Mulyankan | जायसी का मूल्यांकन

SKU: 9788177111569
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  • Author

    Aacharya Ramchandra Shukl

  • Publisher

    Sahityagar

     

  • No. of Pages

    190

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