यह किताब कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में कश्मीरी पंडितों के लोकेशन की तलाश करते हुए उन सामाजिक-राजनैतिक प्रक्रियाओं की विवेचना करती है जो कश्मीर में इस्लाम के उदय, धर्मान्तरण और कश्मीरी पंडितों की मानसिक-सामाजिक निर्मिति तथा वहाँ के मुसलमानों और पंडितों के बीच के जटिल रिश्तों में परिणत हुईं। साथ ही, यह किताब आज़ादी की लड़ाई के दौरान विकसित हुए उन अन्तर्विरोधों की भी पहचान करती है जिनसे आज़ाद भारत में कश्मीर, जम्मू और शेष भारत के बीच बने तनावपूर्ण सम्बन्धों और इस रूप से कश्मीर घाटी के भीतर पंडित-मुस्लिम सम्बन्धों ने आकार लिया। नब्बे के दशक में पंडितों के विस्थापन के लिए ज़िम्मेदार परिस्थितियों की विस्तार से विवेचना करते हुए यह किताब विस्थापित पंडितों के साथ ही उन कश्मीरी पंडितों से संवाद स्थापित करती है जिन्होंने कभी कश्मीर नहीं छोड़ा, और उनके वर्तमान और भविष्य के आईने में कश्मीर को समझने की कोशिश करती है।
Kashmir aur Kashmiri Pandit | कश्मीर और कश्मीरी पंडित
Author
Ashok Kumar Pandey
Publisher
Rajkamal Prakashan
No. of Pages
400
























