स्वामी विवेकानन्द की कर्म योग एक ऐसी पुस्तक है जो कर्म योग के दर्शन और अभ्यास, या मुक्ति की ओर ले जाने वाले कर्म के मार्ग की व्याख्या करती है। यह पुस्तक स्वामी विवेकानन्द द्वारा 1895-96 में न्यूयॉर्क में दिये गये व्याख्यानों पर आधारित है। पुस्तक में विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है जैसे कर्म का अर्थ और उद्देश्य, कर्तव्य और चरित्र की भूमिका, आत्मविश्वास और वैराग्य का महत्व, सेवा और त्याग का आदर्श और कर्म और ज्ञान के बीच संबंध। यह पुस्तक इस बात पर व्यावहारिक मार्गदर्शन भी देती है कि फलों या परिणामों से जुड़े बिना, त्याग और भक्ति की भावना से अपने कार्यों को कैसे किया जाए। पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को आत्म-प्राप्ति के अंतिम लक्ष्य की तलाश करते हुए कार्रवाई और उत्कृष्टता का जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। यह पुस्तक आध्यात्मिक ज्ञान का एक उत्कृष्ट कार्य है जिसने दुनिया भर में कई लोगों को प्रभावित किया है।
Karmyoga | कर्मयोग
Author
Swami Vivekananda
Publisher
Kitabeormai Publications
No. of Pages
118