वसीम बरेलवी हमारे दौर के उन मशहूरों-मारुफ़ शायरों में हैं जिन्हें उनकी शायरी ने सुनने और पढ़ने वालों में महबूब बना दिया है। अपनी भाषा कि सरलता और चिंतन में ज़िन्दगी के आम सरोकारों से गजल को जोड़ कर वासिन साहब ने अपना रिश्ता एक संतुलन के साथ अवाम और आदाब से जोड़ा है,जो बहुत बड़ी बात है। हमारे समाज को आज जिस शायरी कि जरूरत है,मुहब्बत के रिश्तों को जिस आंच कि जरूरत जय और हमारे आदाब को जिस सच्चाई कि जरूरत है,वह सब कुछ वसीम साहब कि शायरी में मौजूद है।
Ankhon Ankhon Rahe | आँखों आँखों रहे
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Author
Waseem Bareilavi
Publisher
Vani Prakashan
No. of Pages
103
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