top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

खड़ी बोली के विख्यात और स्वनामधन्य गणेश कवि अमीर खुसरो का मूल नाम अबुल हसन था। 'अमीर' का उन्हें खिताब मिला था और खुसरो उनका तखल्लुस था । कालान्तर में यह नाम चर्चित हो गया और 'भारतेंदु ' की भाँति इस नाम की बहुत ख्याति हुई। हज़रत निजामुद्दीन औलिया के शागिर्द अमीर खुसरो फ़ारसी के साथ-साथ हिंदवी (हिंदी) अरबी, तुर्की आदि भाषाओं के भी जानकार थे। खुसरो बहुज्ञ और बहुश्रुत दोनों थे

बाल्यकाल से ही वे साहित्य साधना में तल्लीन हो गए। खुसरो ने असंख्य पहेलियों, मुकरियों, निस्बतों की रचना की। उनकी पहेलियाँ और मुकरियाँ आज भी कही सुनी और सराही जाती हैं।

देश-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत कविता के सर्जक अमीर खुसरो को भारत-भूमि पर बहुत गर्व था। वे स्वयं को हिंदुस्तान की तूती कहते थे। वे कहते थे "अगर मुझे जानना चाहते हो तो हिंदवी में पूछो, मैं तुम्हें अनुपम बातें बता सकूँगा।" ऐसा अनोखा उदाहरण विश्व साहित्यधर्मियों में मिलता है।

अमीर खुसरो की सरस और सुबोध पहेलियाँ । Ameer Khusaro Ki Saras Aur Subodh Paheliya

SKU: 9788177114669
₹225.00 नियमित मूल्य
₹191.25बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टॉक में केवल 1 ही शेष हैं
  • Author

    Preetam Prasad Sharma

  • Publisher

    Sahityagar

  • No. of Pages

    120

अभी तक कोई समीक्षा नहींअपने विचार साझा करें। समीक्षा लिखने वाले पहले व्यक्ति बनें।

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page