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गगन गिल का समूचा रचना-संसार धीरे-धीरे बुना गया एक ऐसा प्रशान्त संसार है जिसमें कई तरह के उत्तप्त विकल्प दीख तो पड़ते हैं लेकिन उनमें से किसी एक को चुना जा सकना सम्भव नहीं। उनकी कविताएँ जैसे अस्तित्व के अनिवार्य अन्तर्विरोधों के बीच एक खुले अवकाश में जीने के दुःख को चुपचाप बटोरती कविताएँ हैं। अस्तित्व के अध्यात्म को इस या उस दर्शन के बगैर अपनी करुण व्यंजनाओं में टटोलती यह कृति भारतीय कविता की उस परम्परा से नया सम्बन्ध रचती है जिसे समकालीनता के आतंक में बरसों से भूलने की कोशिश की जाती रही है। -राजेन्द्र मिश्र

अंधेरे में बुद्ध | Andhere Me Buddha

SKU: 9789387889545
₹350.00 नियमित मूल्य
₹297.50बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टाक खत्म
  • Author

    Gagan Gill

  • Publisher

    Vani Prakashan

  • No. of Pages

    134

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