गृहयुद्ध में तबाह सीरिया वहाँ की स्त्रियों के लिए भयावह यातनाघर बन गया। चोटिल देह और आत्मा लिए भारतीय मूल की एक सीरियाई लड़की भारत आती है। यहाँ उसकी मुलाक़ात भारतीय सेना के उस ऑफ़िसर से होती है, जो आतंकवाद से लड़ने में अपना बहुत-कुछ गँवा चुका है। जीवन के सियाह रंगों से भरे ये दो लोग एक लंबी यात्रा पर निकल पड़ते हैं।
‘क़ितराह’ यात्रा में घटित होता गल्प है। वह पहले लड़की और लड़के के जीवन में ‘घट’ चुका है, जो इन दोनों को इस क्रूर ‘घटे’ की गली के अंत तक छोड़ आया है। वहाँ से वापस अकेले लौटने का साहस उनके पास नहीं है।
यह उपन्यास पाठकों को भी पात्रों के साथ यात्रा पर ले जाता है जिसे पढ़ते हुए वो अपने भीतर उन अनजाने, भुला दिए गए सपनों की ओर लौटने लगते हैं, लेखक की सुंदर भाषा और दृष्टि का आश्वासन ख़ुद के कंधों पर लिए। पर जब तक जीवन शेष है, घटित-अघटित सब कुछ लौटकर दस्तक देता ही है, बार-बार...
Qitraah | क़ितराह
Author
Sushma Gupta
Publisher
Hind yugm
No. of Pages
256
























