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आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक सशक्त, जीवन्त और महत्त्वपूर्ण साहित्य विधा - कहानी - को लेकर इधर जो विवाद, हलचलें, प्रश्न, जिज्ञासाएँ और गोष्ठियाँ हुई हैं, उन सभी में कला-साहित्य के नये-पुराने सवालों को बार-बार उठाया गया है। कथाकार राजेन्द्र यादव ने पहली बार कहानी के मूलभूत और सामयिक प्रश्नों को साहस और व्यापक अन्तर्दृष्टि के साथ खुलकर सामने रखा है, देशी-विदेशी कहानियों के परिप्रेक्ष्य में उन पर विचार और उनका न विवेचन किया है। बहुतों की अप्रसन्नता और समर्थन की चिंता से मुक्त, यह गंभीर विश्लेषण जितना तीखा है, उतना ही महत्त्वपूर्ण भी। लेकिन उन कहानियों के बिना यह सारा विश्लेषण अधूरा रहता जिनका जिक्र समीक्षक, लेखक, सम्पादक, पाठक बार-बार करते रहे हैं; और जिनसे आज की कहानी का धरातल बना है। निर्विवाद रूप से यह स्वातंत्रयोत्तर हिन्दी-कहानी का बेजोड़ संकलन और प्रामाणिक ‘हैण्ड-बुक’ है। यह सिर्फ कुछ कहानियों का ढेर या बण्डल नहीं है, बल्कि इनके चुनाव के पीछे एक विशेष जागरूक दृष्टि और कलात्मक आग्रह है। इसीलिए आज की सम्पूर्ण रचनात्मक चेतना को समझने के लिए ‘एक दुनिया: समानान्तर’ अपरिहार्य और अनुपेक्षणीय संकलन है, ऐतिहासिक और समकालीन लेखन का प्रतिनिधि सन्दर्भ ग्रन्थ... ‘एक दुनिया: समानान्तर’ की भूमिका ने कथा-समीक्षा में भीषण उथल-पुथल मचायी है, मूल्यांकन को नये धरातल दिये हैं। यह समीक्षा अपने आप में हिन्दी के विचार- साहित्य की एक उपलब्धि हैं यह नया संस्करण इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है।.

एक दुनिया:समानान्तर | Ek Duniya:Samanantar

SKU: 9788171198528
₹250.00 नियमित मूल्य
₹225.00बिक्री मूल्य
स्टाक खत्म
  • Author

    Rajendra Yadav

  • Publisher

    Radhakrishan Prakashan

  • No. of Pages

    479

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