रीतारानी पालीवाल की यह पुस्तक रंगमंच की अवधारणा का समग्र बिम्ब प्रस्तुत करने का प्रयास है। जहाँ नाटक और रंगमंच की पारस्परिकता को विभिन्न कोणों और पहलुओं से देखते हुए नवीन परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया गया है। इसमें नाट्यधर्मी और लोकधर्मी परम्पराओं के सांस्कृतिक मिथकों, आख्यानों, प्रतीकों, बिम्बों से साक्षात्कार करते हुए प्राच्य और पाश्चात्य रंग-दृष्टियों की स्वतन्त्र निजी पहचान को उद्घाटित किया गया है। भारतीय, एशियाई और पश्चिमी रंग-परम्पराओं के स्वरूप और विशिष्टताओं को सामने लाने के साथ ही यह उनके बीच आदान-प्रदान की उपलब्धियों और सीमाओं को भी रेखांकित करती है।
रंगमंच : पहला परिदृश्य | Rangmanch : Naya Paridrashya
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Author
Reetarani Paliwal
Publisher
Vani Prakashan
No. of Pages
280
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