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शिवाजी पर अंग्रेजी और मराठी में अनेक पुस्तकें हैं। किंतु हिंदी में अभी भी एक ऐसी पुस्तक का अभाव था जिसमें उन पर समस्त उपलब्ध सामग्री का उपयोग किया गया हो। शिवाजी पर लिखी गयी पुस्तकें या तो केवल विद्वानों के मतलब की हैं या फिर ऐसी कि जिनमें वे मध्ययुगीन कथाओं के नायक हैं। राष्ट्रनायक के रूप में उनकी उपलब्धियों तथा व्यक्तित्व पर बहुत कम विचार हुआ है और यही वह पक्ष है जो इतिहास के आधुनिक अध्येताओं को रुच सकता है। शिवाजी के समकालीन इतिहासकारों तथा बाद के फारसी, मराठी, पुर्तगाली, फ्रांसिसी तथा अंग्रेज टीकाकारों ने जो सामग्री दी है उसकी तथ्यपूरक छानबीन की अत्यंत आवश्यकता है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखन ने अत्यंत वस्तुपूरक दृष्टिकोण अपनाया है। उसके मत से शिवाजी न देवता थे न अतिमानव। वे ऐसे सामंत भी नहीं थे जो केवल अपनी जागीर के लिए लड़े हों। उनके युद्ध केवल शक्ति प्रदर्शन, हिंदू साम्राज्य के विस्तार अथवा सम्राट कहलाने की महत्वाकांक्षा से प्रेरित नहीं थे। राष्ट्रीय जीवन की उनकी अपनी एक कल्पना थी जिसे साकार रूप देने के लिए उन्होंने जनता को एकत्र किया। 

छत्रपति शिवाजी । Chhatrapati Shivaji

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SKU: 9788188093984
₹300.00 Regular Price
₹255.00Sale Price
  • Dr. Prabhakar Machve

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