हंस अकेला
यदि एक वाक्य में कहना हो तो कहा जा सकता है कि रमानाथ अवस्थी विराग के कवि हैं। - एक ऐसे विराग के जिसमें अनुराग की पयस्विनी सतत प्रवहमान है। आधुनिक हिन्दी कविता- विशेष रूप से गीत-धारा के पाठक-समाज में उनकी कविताएँ एक अद्वितीय सृष्टि के रूप में पढ़ी और पहचानी जाती हैं।
दरअसल उनकी कविताएँ हमारे भीतर रचे-बसे कोमल, मधुर और उत्कृष्ट के साथ-साथ अपने समय के यथार्थ और बेचैनी-भरे एकान्त हाहाकार को भी बड़ी सहजता से अभिव्यक्त करती हैं। 'हंस अकेला' की कविताएँ भी मनुष्य के उदात्त सौन्दर्य के आस्वादन और सत्य की बीहड़ खोज से उपजे एक अखण्डित और विराट् अनुभव-छन्द का साक्षात्कार कराती हैं।
प्रस्तुत है वरिष्ठ हिन्दी कवि रमानाथ अवस्थी की कविताओं का नवीनतम संग्रह 'हंस अकेला' ।
हंस अकेला । Hans Akela
Rating is 0.0 out of five stars based on reviews
SKU: 8126307455
₹130.00Price
Ramanath Awasthi
No Reviews YetShare your thoughts.
Be the first to leave a review.