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जयपुर राज्य का इतिहास (सचित्र) : जयपुर राजस्थान का अग्रणी राज्य था। लगभग एक हजार वर्षों तक भारत की राजनीति में इसका दखल रहा। इस वंश के प्रद्युम्नदेव (पजून) ने पृथ्वीराज का साथ दिया तो पृथ्वीराज बाबर के विरूद्ध राणा सांगा के साथ थे। मुगल साम्राज्य के निर्माण में मानसिंह जी का योगदान तो विश्व विश्रुत है। इस वंश की उपलब्धियाँ केवल सैन्य जगत तक ही सीमित नहीं थी वरन् विज्ञान और कला के क्षेत्र में भी जयपुर के राजाओं और राजनेताओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। सवाई जयसिंह खगोलविद् थे, ज्योतिष यन्त्रालयों का निर्माण करवाया, उनके पौत्र म. प्रतापसिंह कवि व गायक थे, तो म. रामसिंह द्वितीय प्रसिद्ध छायाकार। जयपुर की पांडित्य परम्परा पर तो एक अलग पुस्तक लिखी जा सकती है। स्वतंत्रता के पश्चात् जयपुर राज्य का विलय राजस्थान राज्य में हुआ और सवाई जयसिंह की राजधानी, राजस्थान की राजधानी बनी। आज इसकी गणना विश्व के सुन्दर नगरों में होती है। यह पुस्तक आंबेर में कछवाहों के आगमन से लेकर राजधानी के जयपुर आने और भारतीय गणराज्य में इसके विलय होने तक का दस्तावेज है, जिसे श्रीमति चन्द्रमणि जी ने रोचक भाषा में प्रस्तुत किया है।

जयपुर राज्य का इतिहास | Jaipur Rajya Ka Itihas

SKU: 9789391446208
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  • Author

    Dr. Chandramani Singh

  • Publisher

    Rajasthani Granthagar

  • No. of Pages

    167

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