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संसार में ऐसी कोई भी जाति देखने में नहीं आती है कि जिसे अपने प्राचीन पुरुषों के सुचरित्र आदि का अभिमान न हो, अर्थात जो अपने पूर्वजों के वृत्त में अनुराग न रखती होः तात्पर्य यह है कि प्रत्येक जाति की प्रत्येक शाखा तथा प्रत्येक व्यक्ति को अपने पूर्व वृत्तान्त का स्मरण और मनन करना जगत् की यात्रा में नितान्त आवश्यक है। हमारी वर्तमान की स्थिति ही हमारे और हमारे पूर्वजों की अतीत चेष्टाओं का फलमात्र है, किञ्च अतीत को बातों से अनभिज्ञ रहकर हम कभी उन्नत नहीं हो सकते हैं, परन्तु खेद का विषय है। कि देश और आचार आदि के भेद से वर्तमान में प्रायः सबही जातियों में वंश, शाखा और प्रति शाखा आदि के अपरिचित भेद हो गये हैं और प्रत्येक का पर्याप्त इतिहास न होने के कारण उस जाति के जन अपने प्राचीन पुरुषों के आचार आदि से अनभिज्ञ है कि जिसके कारण उन्हें अपनी भाविनी उन्नति की सीढ़ी तक पहुंचने में पूरी कठिनाई पड़ रही है।

इस समय हमारा प्रयोजन क्षत्रियवंश से है (कि जिसकी सूची आगामी पृष्ठों में दी गई है। भारतवर्ष के इस विशाल वंश का प्रभाव और गौरव जगद्विख्यात है कि जिसमें राम और कृष्ण आदि अनुपम आवतारिक नरेशों के समान सूर्य और चन्द्रमाँ के तुल्य अपने सुचरित्र संसार में विस्तीर्ण कर गये हैं और जिनकी कीर्ति भारत के माननीय और पूजनीय साहित्य ग्रन्थों में गाई गई हैं, परन्तु इसी क्षत्रिय वंशकी आज तक की कोई पर्याप्त सूची प्राप्त नहीं होती है कि जिससे इसकी विभिन्न शाखाओं का पूरा पता लग सके। यही कारण है कि बहुत से ऐसे कुल हैं कि जिनको अपनी शाखा आदि का निर्भ्रान्त ज्ञान नहीं है।

प्रारम्भ में बह्मा से उत्पन्न हुए सूर्यवंश, चन्द्रवंश तथा बाहुवंश माने....

क्षत्रिय जाति की सूची । Kshatriya Jati Ki Soochi

SKU: 9789384168391
₹250.00 नियमित मूल्य
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  • Author

    Naresh Kumar Sharma

  • Publisher

    Unique Traders

  • No. of Pages

    120

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