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‘इधर का लेडीज़ लोगों का फ़ेवरेट टाइमपास है– दूसरों को हेल्प करना, दूसरों का लाइफ़ कंट्रोल करना... पर ये नहीं करेगा तो फिर वो लोग क्या करेगा?’

एक छोटे-से, प्यारे-से शहर की गॉसिप लवर भाभी के पड़ोस में रहने जब कोई नया ट्रेनी इंजीनियर आता है, तो शुरू हो जाती है एक दिलचस्प, गुदगुदाने वाली दास्ताँ।

स्वीटी भाभी के पड़ोस में शशांक जब से रहने आया है, उसकी ज़िंदगी उसकी ही नहीं रही। तभी तो मारे ग़ुस्से के उसे यह कहना पड़ा– ‘मैडम ये मेरी लाइफ़ है। आप लोग क्यों तय कर रही हैं मुझे क्या करना है, क्या नहीं? क्यों इतना ज़्यादा किसी की पर्सनल लाइफ़ में इंटरफ़ेयर करती हैं? हद है मैडम! जो बंदा यहाँ रहकर काम करना चाहता है, उस पर तो आप लोग ग़लत इल्ज़ाम लगाकर जेल भिजवा देती हैं। और जो यहाँ से जाना चाहता है, उसे बाँधकर रखना चाहती हैं।’

तो ये बात है! फिर चलिए पता करते हैं, आख़िर कौन हैं ये मैमराज़ी, जो बजाने वाली हैं पैपराजी का बैंड...

Mamraazi | मैमराज़ी - बजाएगी पैपराज़ी का बैंड

SKU: 9789392820670
₹249.00 Regular Price
₹224.10Sale Price
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Out of Stock
  • Author

    Jayanti Rangnathan

  • Publisher

    Hind Yugm

  • No. of Pages

    184

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