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जिन्दगी और जिन्दादिली से भरा एक अलग किस्म का उपन्यास । उपन्यास के परम्परित मान्य ढाँचों के आगे प्रश्नचिह्न ।

'अस्सी' काशीनाथ की भी पहचान रहा है और बनारस की भी जब इस उपन्यास के कुछ अंश 'कथा रिपोर्ताज' के नाम से पत्रिकाओं में छपे थे तो पाठकों और लेखकों में हलचल सी हुई थी। छोटे शहरों और कस्बों में उन अंक विशेषों के लिए जैसे लूट-सी मची थी, फोटोस्टेट तक हुए थे, स्वयं पात्रों ने बावेला मचाया था और मारपीट से लेकर कोर्ट-कचहरी की धमकियाँ तक दी थीं।

अब यह मुकम्मल उपन्यास आपके सामने है जिसमें पाँच कथाएँ हैं और उन सभी कथाओं का केन्द्र भी अस्सी है। हर कथा में स्थान भी वही, पात्र भी वे ही अपने असली और वास्तविक नामों के साथ, अपनी बोली-बानी और लहनों के साथ हर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मुद्दे पर इन पात्रों की बेमुरव्वत और लट्ठमार टिप्पणियों काशी की उस देशज और लोकपरम्परा की याद दिलाती हैं जिसके वारिस कबीर और भारतेन्दु थे !

काशी का अस्सी | Kashi Ka Assi

SKU: 9788126711468
₹299.00 Regular Price
₹269.10Sale Price
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Out of Stock
  • Author

    Kashinath Singh

  • Publisher

    Rajkamal Prakashan

  • No. of Pages

    172

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