सम्भाजी - 'सम्भाजी' उपन्यास में मराठी के अग्रणी उपन्यासकार विश्वास पाटील ने छत्रपति शिवाजी के पुत्र छत्रपति सम्भाजी के धीरोदात्त और संकल्पशील युद्धवीर व्यक्तित्व का यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया है। पूर्वाग्रदूषित कथाकारों, नाटककारों और भ्रान्त इतिहासकारों द्वारा निर्मित सम्भाजी की विकृत, लांछित और अयथार्थ प्रतिमा को ध्वस्त करके सम्भाजी राजा के व्यक्तित्व की अनेक सकारात्मक और दुर्लभ विशेषताओं को इस उपन्यास में उभारा गया है। अपने सभी शत्रुओं का एक साथ सामना करते हुए आठ वर्षों तक शिवाजी महाराज के उत्तराधिकार का सफलतापूर्वक निर्वाह करने वाले इस वीरपुत्र की संघर्षगाथा भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। औरंगज़ेब की पाँच लाख की सेना का लगातार आठ वर्षों तक सशक्त प्रतिरोध करने वाले मराठों के दूसरे छत्रपति सम्भाजी, जिन्होंने केवल बत्तीस वर्ष की उम्र में कराल-काल की वेदी पर अपना बलिदान दिया, किन्तु शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज्य का एक भी महत्त्वपूर्ण क़िला अथवा अपनी नौसेना का एक भी जहाज़ खोया नहीं। इस कविहृदय राजा और पराक्रमी सेनानी की गाथा संशय और प्रवाद के बीच उलझा कर रख दी गयी थी। विश्वास पाटील ने सह्याद्रि की दुर्गम घाटियों, समुद्री तटों और अलक्षित दुर्लभ काग़ज़-पत्रों में सुरक्षित शिवपुत्र सम्भाजी राजा की लोमहर्षक, अकल्पनीय किन्तु वास्तविक कथा प्रस्तुत की है। एक अद्वितीय ऐतिहासिक उपन्यास।
सम्भाजी | Sambhaji
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Author
Vishwas Patil
Publisher
Bhartiya Gyanpeeth
No. of Pages
791