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रोहित वेमुला एक शानदार लेखक थे और उनका लेखन आधुनिक भारत में जाति की पीड़ादायक हक़ीक़त को बयान करता है। 17 जनवरी 2016 को खुदकुशी कर लेने वाले रोहित ने फेसबुक पर आठ साल के अपने लेखन के दौरान गाज़ा से लेकर गाज़ियाबाद तक, शायद ही कोई मुद्दा हो जिस पर टिप्पणी नहीं की हो। जाति से लेकर गाय की राजनीति तक पर लिखी गई पोस्टों में वे एक गज़ब की काव्यात्मक भाषा और रेडिकल नज़रिए के साथ अपनी बात कहते हैं, जिसमें ताज़गी है, मुद्दों को सुलझाने की एक ज़िद है और सवाल करने का अपार साहस है।

जाति कोई अफ़वाह नहीं | Jaati Koi Afvaah Nahin

SKU: 9789386228130
₹250.00 Regular Price
₹225.00Sale Price
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  • Author

    Rohit Vemula

  • Publisher

    Juggernaut

  • No. of Pages

    283

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