शोभना पाटिल बांद्रा के एक रेस्टोरेंट में मौजूद थी जहाँ उसकी अपने पति मकरन्द से एक बजे की लंच अप्वायंटमेंट थी। दस मिनट पहले वो उसे रेस्टोरेंट में दाखिल होता और उसकी तरफ आता दिखाई दिया। लेकिन उसके आश्चर्य का पारावार न रहा जबकि वो बिना उस पर निगाह डाले उसके करीब से गुजर गया। क्या उससे मकरंद को पहचानने में गलती हुई थी? नामुमकिन! फिर आगामी घटनाक्रम से स्थापित हुआ कि वो मकरंद नहीं, उसका कोई हमशक्ल था! हमशक्ल एक अरसे से अप्रकाशित कहानियों का संग्रह सुरेन्द्र मोहन पाठक की चमत्कारी लेखनी की यादगार दस्तावेज साहित्य विमर्श प्रकाशन की गौरवशाली प्रस्तुति
Hamshakl | हमशक्ल
SKU: 9789392829406
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Author
Surendra Mohan Pathak
Publisher
Sahitya Vimarsh
No. of Pages
333
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