top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

अंकुश की कविता का शीर्षक लेकर ही कहें तो ये कविताएँ ‘अभागे समय’ के दौर में लिखी जा रही कविताएँ हैं। यह बात कहते हुए और इस कविता को केंद्र बनाकर जो परिधि खींची जा रही है उसके भीतर कवि बहुत छोटी-बड़ी संवेदनाओं को टटोलने की कोशिश कर रहा है। इस टटोलने के क्रम में “यह ख़तरा हमेशा बना रहता है/ कि कुछ अतार्किक लोग/ उसे हरामज़ादे से मिलते-जुलते/ किसी समकालीन शब्द से संबोधित करेंगे”। अतः इस ख़तरे को उठाते हुए ये कविताएँ लिखी गई हैं। जब नष्ट करना और बुलडोज़रिकरण ही इस समय के मुख्य दृश्य हों तो बहुत कुछ बचा लेने की इच्छा एक कवि में प्रबल होती है। अंकुश अपनी कविताओं में उन सभी चीज़ों को बचाने के पक्ष में खड़े होते हैं। इस वजह से कुछ नॉस्टैल्जिक कविताएँ भी उत्पन्न होती हैं लेकिन उनमें सिर्फ़ अतीत नहीं है, उनमें वर्तमान और अतीत को मिश्रित किया गया है ताकि समय को लिखा जा सके।

उनकी कविताओं के विषय विविध हैं। प्रेम कविताएँ अधिक हो सकती हैं और स्मृतियों में बार-बार जाना भी। वह सफाईकर्मी पर भी लिखते हैं और डाकिए पर भी। ‘कमरा ढूँढ़ता दोस्त’ जैसी कविताएँ नए ढंग से मनुष्य के अपराधबोध और ईमानदारी की कविता है। यह इस संग्रह में संवेदना के स्तर पर अच्छी कविताओं में से एक है। ऐसी कविताएँ कम-से-कम यह ज़रूर सिद्ध करती हैं कि यह कवि चालू कवि नहीं है। अतः कवि सामाजिक रूप से व्यावहारिक होने कि कोशिश करते हुए भी अव्यावहारिक ही रह जाता है जो कविता की दर को तेज करती है।

~अरुण कमल

Kaam Mein Uljha Samay । काम में उलझा समय

SKU: 9788119555413
₹249.00 Regular Price
₹224.10Sale Price
Quantity
Only 1 left in stock
  • Author

    Ankush Kumar

  • Publisher

    Hind yugm

  • No. of Pages

    157

No Reviews YetShare your thoughts. Be the first to leave a review.

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page