राहगीर अपने कबीरीयत के लिए पहचाने जाते हैं। राहगीर ने अपनी कविताई और गायकी के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों तथा विडंबनाओं पर कुठाराघात किया है। ‘समझ गए या समझाऊँ?’ राहगीर का दूसरा कविता-संग्रह है जिसमें कवि का चिर-परिचित तेवर मौजूद है।
Samajh Gaye Ya Samjhaun | समझ गए यै समझाऊँ?
SKU: 9788119555642
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Author
Rahgir
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
141
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