युद्ध आरंभ हो चुका था, घात-प्रतिघात का खेल जोरों पर था। कुछ चेहरों से नकाब उतर चुके थे, तो कुछ के मुखौटे हटने अभी बाकी थे। एक तरफ एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियाँ दुश्मन को नेस्तनाबूद करने की कवायद में जुटी हुई थीं, तो दूसरी तरफ विशाल, सतपाल, संजना और अवनी कमर कस के मैदान में कूद पड़े थे। बस किसी को ये नहीं मालूम था कि उनका मुकाबला किसके साथ चल रहा था। ऐसे में दुश्मन पर जीत हासिल कर पाना असंभव की हद तक कठिन काम बनकर रह गया…. महाभारत शृंखला की तीसरी और अंतिम कड़ी ‘कुरुक्षेत्र’
महाभारत त्रयी 3 : कुरुक्षेज्ञ । Mahabharat Trilogy 3 : Kurukshetra
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Author
Santosh Pathak
Publisher
Sahitya Vimarsh
No. of Pages
309
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