मेवाड़ ठिकाना दस्तावेजों का सर्वेक्षण संसार के सारे दीप बुझ जाते है, किन्तु साहस द्वारा इतिहास के भाल पर लिखी गई लिपि की ज्योति कभी मन्द नहीं होती। पुरालेखीय स्त्रोत इतिहास लेखन में विश्वसनीय माने जाते है क्योंकि इसका निर्माण करने वाले व्यक्ति घटनाओं के समकालीन एवं प्रत्यक्षदर्शी रहे होते है। accordingly इस पुस्तक में मुख्यतः मेवाड़ के ठिकानों से प्राप्त पुरालेखीय सामग्री को आधार बनाकर 16वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक के मेवाड़ के इतिहास के विभिन्न पक्षों का लेखन किया गया है। ठिकाना दस्तावेज किसी भी दृष्टि से अभिलेखागार में सुरक्षित सामग्री से कम नहीं है। also इस सामग्री का इतिहास लेखन में उपयोग करके इतिहास लेखन को प्रामाणिक बनाना आवश्यक है। इस ग्रन्थ में राजनैतिक इतिहास के साथ सामाजिक, धार्मिक, प्रशासनिक, सामन्त व उनके विशेषाधिकार, मेवाड़ की भूमि व्यवस्था व आपसी सम्बंधों को बतलाया गया है। इस ग्रन्थ के माध्यम से इतिहासकारों का ध्यान ठिकाना दस्तावेज़ों की ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया गया है। यदि समय रहते इनका उपयोग कर लेखन में सम्मिलित नहीं किया गया तो पुरामहत्त्व की सामग्री नष्ट हो जायेगी। पूर्व जागीरदारों के वंशज इसके महत्त्व से अपरिचित जान पड़ते हैं। so इसलिए इसे सुरक्षित एवं संरक्षित करने का प्रयास भी नहीं कर रहे। सरकार को इन्हें संकलित कर सुरक्षित करने का प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे शोधार्थियों द्वारा इसका उपयोग किया जा सके तथा नये विषयों की जानकारी इतिहास में सम्मिलित कर उसे पुष्ट करने में मदद मिले। यही इस ग्रन्थ की उपलब्धि होगी। Mewar Thikana Dastavej Sarvekshan
मेवाड़ ठिकाना दस्तावेजों का सर्वेक्षण । Mewar Thikana Dastavejon Ka Sarvekshan
Author
Dr. Neelam Kaushik
Publisher
Rajasthani Grangthagar
No. of Pages
254
























