हिन्दी कहानी के सुदीर्घ इतिहास में ज्ञानरंजन की कहानियाँ अपने ख़ास स्वर और संवेदना के लिए विशिष्ट हैं। उनकी कहानियों की बुनावट ऐसी है कि पहले वाक्य से ही पाठक को अलहदा, नया और अपूर्व गद्य पढ़ने का सुख मिलता है। भारतीय समाज यथा दाम्पत्य, परिवार और घर के जैसे चित्र ज्ञानरंजन की कहानियों में आए हैं वैसे किसी दूसरे कथाकार के यहाँ दुर्लभ हैं। पीढ़ियों के अंतराल और संबंधों के तनाव उनकी कहानियों को ख़ास रंग देते हैं जिसे उनकी समर्थ भाषा बार-बार पढ़ने के लिए आमंत्रित करती है। अमर उजाला के सर्वोच्च साहित्य सम्मान आकाशदीप अलंकरण से सम्मानित ज्ञानरंजन की इन कहानियों को हिन्दी साहित्य का उज्ज्वल पृष्ठ कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी।
मेरी प्रिय कहानियाँ - ज्ञानरंजन | Meri Priya Kahaniyan - Gyanranjan
SKU: 9789389373325
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Author
Gyanranjan
Publisher
Rajpal & Sons
No. of Pages
127
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