यह किताब अकेले की गई यात्राओं को ठीक से समझने का प्रयास है। एकल यात्राएँ किसी के साथ की गई यात्राओं की ठीक विपरीत दिशा में जाती हैं। एकल यात्रा अमूमन आपको घनघोर उलझन और असहजता के ठीक मध्य में छोड़ देती है। सारा बिखरा पड़ा छोड़कर जब हम अकेले यात्रा पर सुख की तलाश में निकलते हैं तब ये पता ही नहीं होता की भागकर आख़िर हम अपनी ही निज में आ पहुँचेंगे।
इस किताब का लिखा उसी निज के दायरे में दोबारा पहुँचकर उसे एक आख़री बार छू लेने का प्रयास है। वही सारा कुछ ठीक से समझ लेने का प्रयास है जो इस यात्रा के दौरान बीज की तरह भीतर बोया जा रहा था। यह किताब उन्हीं बीजों के सालों बाद पेड़ बन जाने का अनुभव जैसा कुछ है। उनकी छाँव में कुछ समय बिताकर आगे चल देने जैसा कुछ।
बाहर से भीतर । Bahar Se Bheetar
SKU: 989392820199
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Author
Chetan Dange
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
179
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