हवाई जहाज की सीढ़ियों से उतरते वक्त कल्याणी ने अपने चारों तरफ देखा। उसके पीछे खड़े दीपन ने कहा, 'क्या, माँ तुम उतरने से पहले ही यहीं पानी पियोगी ?"
'हाँ', कल्याणी बोली। पानी पिये बिना उसके दिल को राहत कहाँ मिलने वाली थी। अपने वतन के पानी का स्वाद भला कहीं और मिल सकता है ? कलकत्ते में तीस सालों तक रहने के बावजूद पानी का ऐसा स्वाद उसे कभी नहीं मिला था।
Fera | फेरा
SKU: 8170553709
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Out of Stock
Author
Tasleema Nasreen
Publisher
Vani Prakashan
No. of Pages
104
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