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हमारे जीवन और काल में विवेकानंद की प्रासंगिकता

उन्हें फ्रांस की पाक-कला की पुस्तकें पसंद थीं, उन्होंने खिचड़ी बनाने की नई विधि का आविष्कार किया था, उन्हें जहाज़ निर्माण की इंजीनियरिंग और गोला-बारूद बनाने की प्रौद्योगिकी में दिलचस्पी थी। उनकी मृत्यु के 100 से भी अधिक वर्ष बाद क्या हम वास्तव में जान पाए हैं कि स्वामी विवेकानंद कितने विस्मयकारी, आकर्षक और जटिल व्यक्ति थे? अमेरिका को मंत्र-मुग्ध कर देने वाले उनके शिकागो भाषण से लेकर उनके वृहद लेखन और भाषणों ने भारत के विचार को पुनर्परिभाषित किया और बताया कि विवेकानंद एक संन्यासी से कहीं अधिक थे।

विवेकानंद भारत की आधुनिक परिकल्पना के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोगों में से एक हैं। वे पूरी तरह से आधुनिक मनुष्य भी हैं, जो लगातार अपने ही विचारों को चुनौती देते रहे और विविध तथा विपरीत तर्को को भी अपनाते रहे। यह उनकी आधुनिकता ही है जो हमें आज मोहित करती है। वे न तो इतिहास तक सीमित हैं, न ही कर्मकांड तक, और लगातार अपने आस-पास की हर चीज़ पर तथा खुद के बारे में भी सवाल करते हैं। विवेकानंद के विरोधाभासों, उनकी शंकाओं, उनके भय, और उनकी असफलताओं के कारण ही हम उनकी विराट सम्मोहक दिव्यता को पहचानते हैं। वे हमें ईश्वर को समझना सिखाते हैं, और बताते हैं कि पहले हमें अपने आपको अच्छी तरह से समझना चाहिए। इस पुस्तक में तर्क दिया गया है कि ऐसा नहीं है कि वे केवल ईश्वर के नज़दीक थे, बल्कि वे इंसान के रूप में इतने विलक्षण थे कि हम विवेकानंद और उनकी अमर प्रज्ञा की ओर बार-बार लौटकर आते हैं।

नये युग का संन्यासी | The Modern Monk

SKU: 9789388241526
₹250.00 Regular Price
₹225.00Sale Price
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Out of Stock
  • Author

    Hindol Sengupta

  • Publisher

    Manjul

  • No. of Pages

    154

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