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'यह सिर्फ़ डायरी नहीं यात्रा भी है, बाहर से भीतर और देह से देश की, जो बताती है कि देह पर ही सारी लड़ाइयाँ लड़ी जाती हैं और सरहदें तय होती हैं ।' -प्रो. अभय कुमार दुबे (निदेशक, भारतीय भाषा कार्यक्रम, CSDS) 'इस डायरी में पाठक ज्यों-ज्यों आगे बढ़ता है, लगता है कोई तेज़ नश्तर उसके सीने पर रख दिया गया है और पृष्ठ-दर-पृष्ठ उसे भीतर उतारा जा रहा है। हिन्दी में ऐसे लेखन और ऐसी यात्राओं का जितना स्वागत किया जाए, कम है।' -नित्यानंद तिवारी (आलोचक व पूर्व प्रोफ़ेसर दिल्ली विश्वविद्यालय) 'रक्तरंजित इस डायरी में जख़्मी चिड़ियों के टूटे पंख हैं, तपती रेत पर तड़पती सुनहरी जिल्द वाली मछलियाँ हैं, कांच के मर्तबान में कैद तितलियाँ हैं। यूगोस्लाविया के विखंडन का इतना सच्चा बयान हिन्दी में यह पहला है।' -तरसेम गुजराल (वरिष्ठ रचनाकार व आलोचक) गरिमा श्रीवास्तव जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र में प्रोफ़ेसर हैं। पढ़ना-लिखना, दुनिया देखना उनकी रुचि है। उनकी 22 पुस्तकें और कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। स्त्री आलोचना और नवजागरण पर उनके कार्य की विशेष सराहना हुई है। उनका संपर्क है drsgarima@gmail.com

देह ही देश | Deh Hi Desh

SKU: 9789386534217
₹299.00 Regular Price
₹269.10Sale Price
Quantity
Out of Stock
  • Author

    Garima Shrivastav

  • Publisher

    Rajpal & Sons

  • No. of Pages

    192

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