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इस किताब को 10 बरस हो गए हैं। दस साल पुरानी हो चुकी बात में स्मृति अपने खेल करने लग जाती है। इसकी रिवायत ही कुछ ऐसी है कि वो बनती है, फिसलती है, रीतती है, शक्ल बदलती है और शायद कुछ रह जाती है उँगलियों के पोरों पर। कितनी बची है ये किताब आपकी उँगलियों के पोरों पर ? बहुत थोड़ी ना ?

पुनः स्मरण के लिए एक बार फिर आपके साथ।

 

"शाम कुछ और ही बीत गई। वह उस इमारत को एकटक देखे जा रहा था। और वो उसे एकटक देखे जा रही थी। उसकी चट्टानी माँसलता में सामने की पथरीली उच्च भूमि और अधिक दृढ़ता जोड़ रही थी। वो एकदम सामने थी पर बहुत दूर थी। उसके बड़े नोकदार शिखर भाले की तरह आसमान नींद रहे थे....."

(इसी किताब से)

Tim Tim Raston Ke Aks | टिम टिम रास्तों के अक्स

SKU: 9789381394694
₹249.00 Regular Price
₹224.10Sale Price
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Only 1 left in stock
  • Author

    Sanjay Vyas

  • Publisher

    Hind Yugm

  • No. of Pages

    160

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