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अनुपमा अपने नाम को सार्थक करती थी। उसकी कोई उपमा नहीं थी। उसके बारे में सिर्फ ये कह देना काफी नहीं था कि वो इंतहाई खूबसूरत थी। वो मोनालिसा थी, क्लोपेट्रा थी, वीनस थी। वो जादूगरनी थी। वो किसी को तोता बनाकर पिंजरे में बंद कर सकती थी। मक्खी बना कर दीवार से चिपका सकती थी। जादूगरनी ‘सुनील सीरीज’ का यादगार उपन्यास सुरेन्द्र मोहन पाठक की करिश्माई लेखनी पूरे जलाल पर। साहित्य विमर्श प्रकाशन की गौरवशाली प्रस्तुति।

जादूगरनी । Jadugarni

SKU: 9789392829338
₹199.00 Regular Price
₹179.10Sale Price
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  • Author

    Surendra Mohan Pathak

  • Publisher

    Sahitya Vimarsh

  • No. of Pages

    288

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