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"मेरी साँस बहुत लंबी थी। जब मैं नदी में गोता लगाता तो इतनी देर तक पानी के भीतर रुका रहता कि बाहर खड़े लोगों को लगने लगता कि डूब गया है ये। पर मैं भीतर प्रार्थना कर रहा होता कि काश मैं इस पानी के भीतर वाले संसार का हिस्सा हो जाऊँ, अगर हमेशा के लिए नहीं तो बस कुछ देर और! कई बार मैं पानी के भीतर एक पत्थर को पकड़े बैठा रहता। पर पानी के भीतर के संसार ने मुझे कभी, बहुत देर तक, स्वीकार नहीं किया... या यू कहूँ कि मैं मछली होने की भरसक कोशिश करता रहा पर मछली नहीं हो पाया कभी। मेरे लिए लिखना बिलकुल ऐसा ही हैं। एक गहरा गोता लगाना और देर तक प्रार्थना करना कि मैं यहाँ बना रहूँ। किन्हीं बहुत अच्छे क्षणों में मैंने खुद को, अपने लिखे में, मछली होते देखा है। "

मानव कौल

मानव कौल के लिए लेखन आनंद की यात्रा रहा है। मानव ने लिखने के समय में खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस किया है। इनके लेखन की शुरुआत लगभग 20 साल पहले हुई मगर बीते 6 सालों में इन्होंने बहुत सघन लेखन किया है। अब तक मानव की नौ किताबें-'ठीक तुम्हारे पीछे', 'प्रेम कबूतर', 'तुम्हारे बारे में', 'बहुत दूर, कितना दूर होता है', 'चलता-फिरता प्रेत', 'अंतिमा', 'कर्ता ने कर्म से', 'शर्ट का तीसरा बटन' और 'रूह' प्रकाशित हैं।

चलता-फिरता प्रेत | Chalta-Firta Pret

SKU: 9789387464902
₹249.00 Regular Price
₹224.10Sale Price
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Only 1 left in stock
  • Author

    Manav Kaul

  • Publisher

    Hind Yugm

  • No. of Pages

    160

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