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सिख धर्म की बुनियाद रखनेवाले गुरु नानक (1469-1539) मध्यकाल के महत्त्वपूर्ण संत और कवि हैं। उनकी वाणी में परमात्मा की एकता का विचार सर्वोपरि है और इसमें कविता अनायास है। ईश्वर की निर्गुण प्रकृति का जैसा वर्णन उन्होंने किया है, वैसा सूक्ष्म और विस्तृत वर्णन और किसी मध्यकालीन संत के यहाँ नहीं मिलता। मध्यकालीन संतों के कई मत-पंथ अस्तित्व में आए, लेकिन गुरु नानक का पंथ आज भी निरंतर और जीवंत है।

इस पुस्तक का चयन व संपादन डॉ. माधव हाड़ा ने किया है, जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ के रूप में है। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष डॉ. हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फैलो रहे हैं। संप्रति वे वहाँ की पत्रिका चेतना के संपादक हैं। प्रस्तुत चयन में गुरु नानक की श्रेष्ठ और प्रतिनिधि रचनाओं को प्रस्तुत किया गया है।

गुरु नानक । Guru Nanak

SKU: 9789393267351
₹185.00 Regular Price
₹166.50Sale Price
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  • Author

    Madhav Hada

  • Publisher

    Rajpal & Sons

  • No. of Pages

    125

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