जब पांडव हस्तिनापुर के राजसिंहासन पर अपना दावा प्रस्तुत करते हैं, तो कौरवों का युवराज सुयोधन कृष्ण को चुनौती देने के लिए प्रस्तुत हो जाता है। जहाँ महापुरुष धर्म और अधर्म के विचार पर तर्क- वितर्क करते हैं, वहीं सत्ता के भूखे मनुष्य एक विनाशकारी युद्ध की तैयारी करते हैं। उच्च वंश में जन्मी कुलीन स्त्रियाँ किसी अनिष्ट के पूर्वाभास के साथ अपने सम्मुख विनाश की लीला देख रही हैं। लोभी व्यापारी तथा विवेकहीन पंडे-पुरोहित गिद्धों की भाँति प्रतीक्षारत हैं। दोनों ही पक्ष जानते हैं कि इस सारे दुख तथा विनाश के पश्चात् सब कुछ विजेता का होगा। परंतु जब देवता षड्यंत्र रचते हैं और मनुष्यों की नियति बनती है, तो एक महान सत्य प्रत्यक्ष होता है।
Kali Ka Uday | कलि का उदय
SKU: 9788183227568
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Out of Stock
Author
Anand Neelkanthan
Publisher
Manjul Publishing
No. of Pages
460
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