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साहस और बेबाकबयानी के कारण मन्नू भंडारी ने हिन्दी कथा-जगत् में अपनी एक अलग जगह बनाई है। नैतिक-अनैतिक से परे यथार्थ को निर्द्वन्द्व निगाहों से देखना उनके कथ्य और उनकी कहन को हमेशा नया और आधुनिक बनाता है। मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है और त्रिशंकु संग्रहों की कहानियाँ उनकी सतत जागरूक, सक्रिय विकासशीलता को रेखांकित करती हैं।

आलोचकों और पाठकों ने मन्नू जी की जिन विशेषताओं को स्वीकार किया है, वे हैं उनकी सीधी-साफ़ भाषा, शैली का सरल और आत्मीय अन्दाज़, सधा-सुथरा शिल्प और कहानी के माध्यम से जीवन के किसी स्पन्दित क्षण को पकड़ना । कहना न होगा कि इस संग्रह में शामिल सभी कहानियाँ इन विशेषताओं का निर्वाह करती हैं। एक प्लेट सैलाब, बन्द दराजों के साथ, नई नौकरी- ये सभी कहानियाँ अकसर चर्चा में रही हैं और इनमें मन्नू जी की कला निश्चय ही एक नया मोड़ लेती है-जटिल और गहरी सच्चाइयों के साहसपूर्ण साक्षात्कार का प्रयत्न करती है।

एक प्लेट सैलाब | Ek Plate Sailab

SKU: 9788171197125
₹250.00 Regular Price
₹225.00Sale Price
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Out of Stock
  • Author

    Mannu Bhandari

  • Publisher

    Radhakrishan Prakashan

  • No. of Pages

    151

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