top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

'प्रेम' का वास्तविक अर्थ और उसका स्वरूप क्या है, आज की नव युवा पीढ़ी में इसके प्रति जागरूकता लाने के उददेश्य से यह नाटक लिखा गया है। अविवाहित राधा एक लघु उद्योग की संचालिका है, जिसके पिता का स्वर्गवास हो चुका है। वह अपनी वृद्ध मां और विकलांग भाई के साथ रहती है। और उसे मजबूरन अपना व्यवसाय बन्द कर देना पड़ा और जीवन-निर्वाह के लिए वह एक आर्टिस्ट के रूप में 'ललित कला केन्द्र' नामक संस्था में कार्य कर लेती है। राधा की दृष्टि में शादी एक ऐसा बंधन है, जिसे समाज ने जीवन का आनंद लेने के लिए आवश्यक अंग बना दिया है, जिससे एक-दूसरे के चरित्र पर कलंक न लगे। वह मानती है- "प्रेम' एक अमर तत्व है 'वासना' क्षणिक है वासना इंद्रियों के वशीभूत होती है और प्रेम में इंद्रियां नियन्त्रित रहती हैं। विश्वामित्र में मेनका की सुंदरता को देखकर वासना उत्पन्न हुई थी और इसी की पूर्ति के लिए उन्होंने शादी की थी, प्रेम के लिए नहीं प्रेम तो मानसिक-चरित्र के उत्थान के लिए है, शारीरिक इंद्रियों की तृप्ति के लिए नहीं। प्रेम कभी घटता नहीं है, बल्कि दिनों-दिन बढ़ता रहता है। इसमें कभी बासीपन नहीं आता, बल्कि सदा तरोताजा बना रहता है। प्रेम सदा अमर हैं।

एक और राधा | Ek aur Radha

SKU: 9788190970907
₹150.00 Regular Price
₹127.50Sale Price
Quantity
Only 1 left in stock
  • Author

    Radharaman Agarwal

  • Publisher

    Rashtriya Prakashnalay

  • No. of Pages

    75

No Reviews YetShare your thoughts. Be the first to leave a review.

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page