top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

इसे नियति की विडंबना ही कहेंगे कि महाभारत की गाथा का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और अमर पात्र होने के बावजूद, अश्वत्थामा सदा उपेक्षित रहा है। पौराणिक साहित्य में अश्वत्थामा सहित और भी लोग हैं जिन्हें अमर माना जाता है। परंतु जहां अन्य लोगों को अमर होने का 'वरदान' प्राप्त हुआ, वहीं अश्वत्थामा को अमरता 'शाप' में मिली थी !

युद्ध की कथा सदा निर्मम नरसंहार, निर्दोषों की हत्या और दुष्कर्मों की काली स्याही से ही लिखी जाती है। तो फिर महाभारत जैसे महायुद्ध में अश्वत्थामा से ऐसे कौन-से दो अक्षम्य अपराध हो गए थे, जिनके लिए श्रीकृष्ण ने उसे एकाकी व जर्जर अवस्था में हज़ारों वर्षों तक पृथ्वी पर भटकने का विकट शाप दे डाला? उसके मन में यह प्रश्न उठता है कि श्रीकृष्ण ने इतना कठोर शाप देकर उसके साथ अन्याय किया या फिर इसके पीछे भगवान का कोई दैवी प्रयोजन था? क्या अश्वत्थामा के माध्यम से भगवान कृष्ण आधुनिक समाज को कोई संदेश देना चाहते थे?

अधिकांश जगत अश्वत्थामा को दुर्योधन की भांति कुटिल और दुराचारी समझता है। लेखक ने इस उपन्यास में अश्वत्थामा के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए, उस महान योद्धा के दृष्टिकोण से महाभारत की कथा को नए रूप में प्रस्तुत किया है।

अश्वत्थामा | Ashvatthama

SKU: 9788183228060
₹299.00 Regular Price
₹269.10Sale Price
Quantity
Out of Stock
  • Author

    Asutosh Garg

  • Publisher

    Manjul

  • No. of Pages

    184

No Reviews YetShare your thoughts. Be the first to leave a review.

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page