बालगंगाधर तिलक, भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और महान स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए जिन्हें ब्रिटिश सरकार 'भारतीय अशान्ति का पिता' कहती 4 थी। उन्हें गाँधीजी ने लोकमान्य के सम्मान से सम्बोधित किया। उन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तिलक ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज्य के सबसे पहले मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे तथा भारतीय अन्तःकरण में प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा 'स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध आहे, आणि तो मिलबणारच' (अर्थात् स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है मैं इसे लेकर ही रहूँगा।) उनके समर्थकों में स्वयं जिन्ना, लाला लाजपतराय, विपिनचन्द्र पाल, अरविन्द घोष और बी.ओ. चितम्बर पिल्लै जैसे महान नेता थे।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | Lokmanya Bal Gangadhar Tilak
Author
Sitaram Pareek
Publisher
Pankaj Publications
No. of Pages
118