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पहले खेलों को सिर्फ शारीरिक चुस्ती-फुर्ती बनाए रखने का माध्यम माना जाता था। गांव व शहरों में कसरत करने के लिए अखाड़े ही एकमात्र साधन हुआ करते थे। लेकिन आगे चलकर खेलों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया केवल संस्कृति में थोड़े समय में ही टेनिस, फुटबाल, मुक्केबाजी, क्रिकेट, हॉकी को घर-घर तक पहुंचा दिया। लोग इसके महत्व को समझने लगे और अपनाने लगे।

खेलों की महत्ता को समझते हुए इसे प्रचारित और प्रसारित करने में सरकार ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। निजी कम्पनियां, रेलवे तथा अन्य सरकारी तथा " गैर-सरकारी संस्थान भी खेलों को प्रायोजित कर रहे हैं क्रिकेट, बॉस्केटबाल हॉकी, वॉलीवाल, टेबल टेनिस से लेकर लगभग सभी खेलों में उमरते हु खिलाड़ियों का निजी संस्थान चयन कर लेते हैं। फिर उनको प्रशिक्षण देकर अपने संस्थान में ही नौकरी भी दे देते हैं। इस प्रकार खेल आज रोजगार पाने का माध्य भी बन गए हैं। ऐसा नहीं है कि खिलाड़ी को केवल नौकरी से ही आय होती !! आज कई खिलाड़ी निजी प्रशिक्षण केन्द्र चलाकर या किसी स्कूल, कॉलेज प्रशिक्षण देकर भी आमदनी करते हैं।

सचित्र खेल-कूद के नियम | Sachitra Khel Kood ke Niyam

SKU: 9788190579230
₹400.00 Regular Price
₹340.00Sale Price
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  • Author

    Vikram Singh

  • Publisher

    Shiv Book Depot

  • No. of Pages

    232

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