श्रीरामचरितमानस—गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराजके द्वारा प्रणीत श्रीरामचरितमानस हिन्दी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट रचना है। आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ-जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन आदि मानव-धर्मके सर्वोत्कृष्ट आदर्शों का यह अनुपम आगार है। सर्वोच्च भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य तथा भगवान् की आदर्श मानव-लीला तथा गुण, प्रभाव को व्यक्त करने वाला ऐसा ग्रन्थ रत्न संसार की किसी भाषा में मिलना असम्भव है। आशीर्वादात्मक ग्रन्थ होने के कारण सभी लोग इसका मन्त्रवत् आदर करते हैं। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से एवं इसके उपदेशों के अनुरूप आचरण करने से मानव मात्रके कल्याण के साथ भगवत्प्रेम की सहज ही प्राप्ति सम्भव है। इस दिव्य ग्रन्थरत्न की अधिकाधिक प्रचार-प्रसार की दृष्टि से ही गीताप्रेस से इसके बृहदाकार, ग्रन्थाकार, मझला आकार, गुटका आकार और अलग-अलग काण्ड के रूप में विभिन्न भाषाओं में सटीक एवं मूल अनेक संस्करण प्रकाशित किये गये हैं। श्रीरामचरितमानस का सटीक संस्करण अब तक प्रकाशित सैकड़ों टीकाओं में पाठ-भेदों को दृष्टि में रखकर सर्वाधिक प्रमाणित टीका के रूप में निकाला गया। यहाँ से प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का मूलपाठ भी यथाशक्ति सर्वाधिक शुद्ध तथा क्षेपकरहित है। श्रीरामचरितमानस के सभी संस्करणों में पाठ-विधि के साथ नवाह्न और मासपारायण के विश्राम स्थान, गोस्वामीजी की संक्षिप्त जीवनी, श्रीरामशलाका प्रश्नावली तथा अन्त में रामायणजी की आरती दी गयी है। गीताप्रेस से प्रकाशित श्रीरामचरितमानस के विभिन्न संस्करणों की प्रत्येक घर में उपस्थिति ही इसकी लोकप्रियता तथा प्रामाणिकता का सुन्दर परिचय है।
Shri Ramcharitmanas Mool | श्रीरामचरितमानस मूल
Author
Tulsidas
Publisher
Gitapress
No. of Pages
462